POWERFUL MOTIVATION STORY IN HINDI
हमारे जीवन में प्रतिदिन कोई न कोई मुसीबत आती है। जीवन का दूसरा नाम मुसीबत है। जीवन में हम कई बार मुसीबत को देखकर भागने की कोशिश करते हैं। हम मुसीबत से घबरा जाते है। मुसीबत का सामना ना किया जाए तो मुसीबत हम पर हामी होने लगती है। कुछ लोग मुसीबत का सामना करके जीत जाते है। कुछ लोग मुसीबत के सामने जाने से कतराथे है वो हार जाते है। कभी-कभी जीवन में परिस्थिति एसी हो जाती है जब हमे लगने लगता है हम हार गए। जब हमे किसी चीज़ मैं बार - बार असफलता मिलने लगती तब हमे प्रेरणा (मोटिवेशन) की आवश्यकता होती है। उसी प्रेरणा से हम सकरात्मक सोचने लगते हैं।
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1. सफलता का रहस्य
हम कही बार अपने जीवन में लगातार असफल होने लगते हैं। जिसका कारण हम लोग खुद से जीत नहीं पाते। असफलता का बार बार आना कोई बड़ी बात नहीं है। असफलता हर किसी के जीवन में हर रोज़ आती है। असफलता का अर्थ हमे हर रोज़ कुछ ना कुछ सिखाना होता है । असफलता से हमे घबराना नहीं चाहिए । असफलता से हमे कुछ ना कुछ सीखना चाहिए । सफलता उने प्राप्त होती है जो हर रोज़ कुछ ना कुछ सीखता रहता है। मै आपसे सफलता का रहस्य के बारे में बताने जा रहा हूँ।
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एक बार एक नौजवान लड़के ने महाऋषि से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?
महाऋषि ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो और वो मिले| फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा| और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक महाऋषि ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया|
लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा| लेकिन महाऋषि ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा | फिर महाऋषि ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की, वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना|
महाऋषि ने पूछा ,”जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”
लड़के ने उत्तर दिया, "सांस लेना|"
महाऋषि ने कहा, "यही सफलता का रहस्य है|जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना कि तुम सांस लेना चाहते थे, तो वो तुमए मिल जाएगी। इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है|
दोस्तों, जब आप सिर्फ और सिर्फ एक चीज चाहते हैं तो वो चीज आपको मिल जाती है| जैसे छोटे बच्चों को देख लीजिये| वे न भूत में जीते हैं न भविष्य में| वे हमेशा वर्तमान में जीते है और जब उन्हें खेलने के लिए कोई खिलौना चाहिए होता है या खाने के लिए कोई टॉफ़ी चाहिए होती है| तो उनका पूरा ध्यान, उनकी पूरी शक्ति बस उसी एक चीज को पाने में लग जाती है। अंत में परिणाम ये निकलता है
कि वह वो चीज़ पा लेते हैं।
सफलता उन्हें मिलती है जो अंत तक एक ही चीज़ पर अपना पूरा ध्यान लगा कर पूरी कोशिश करता है । जीत उसी की होती है।
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2.बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन में कही बार ऐसा होता है कि हम गुस्से में आकर किसी को भी हम कुछ भी कह देते हैं। जिसके कारण रिश्तों में दरार पड़ जाती है। कड़वा बोले हुए शब्दो से किसी ना किसी तरह व्यक्ति का दिल दुख ही जाता है। जब हमे एहसास होता है तब तक समय हाथ से निकल कर जाता है। हम उससे माफी मांग सकते है। हमे माफी मांगनी भी चाहिए । फिर भी उसके दिल पर चोट रह ही जाती है । इसलिए हमे सोच समझ कर बोलना चाहिए । शब्द ही है जो हमे सबके सामने महान बनाते हैं और शब्द ही है जो हमे नीचे गिरा भी सकते है। मै आपसे एक कहानी बांटना चाहता हूं। इस कहानी से मिलने वाली सीख पर गाँठ बाँध लीजिए।
एक बार एक राजा ने गुस्से में आकर अपनी पत्नी को भला बुरा कह दिया। जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो वे एक संत के पास गया। राजा ने संत से पूछा '' शब्द को वापस कैसे लेते है।' संत ने राजा से कहा, '' तुम खूब सारे पंख इकठे कर के शहर के बीचो - बीच रख दो। '' राजा ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया। तब संत ने कहा '' जाओ और सारे पखों को वापस ले आओ। ''
राजा वापस गया और राजा के पहुचने से पहले ही सारे पंख इधर-उधर उड़ चुके थे। राजा खाली हाथ संत के पास गया। संत ने कहा ठीक हमारे साथ भी यही होता है। हमारे मुख से असानी से शब्द निकल तो जाते है लेकिन हम चाह कर भी हम वापस नहीं ले सकते ।
एक बार एक राजा ने गुस्से में आकर अपनी पत्नी को भला बुरा कह दिया। जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो वे एक संत के पास गया। राजा ने संत से पूछा '' शब्द को वापस कैसे लेते है।' संत ने राजा से कहा, '' तुम खूब सारे पंख इकठे कर के शहर के बीचो - बीच रख दो। '' राजा ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया। तब संत ने कहा '' जाओ और सारे पखों को वापस ले आओ। ''
राजा वापस गया और राजा के पहुचने से पहले ही सारे पंख इधर-उधर उड़ चुके थे। राजा खाली हाथ संत के पास गया। संत ने कहा ठीक हमारे साथ भी यही होता है। हमारे मुख से असानी से शब्द निकल तो जाते है लेकिन हम चाह कर भी हम वापस नहीं ले सकते ।
सीख
1.इसलिए हमे भी गुस्से में आकर किसी को अप शब्द नहीं बोलने चाहिए । क्या पता उस पर क्या बीती हो। दिल सबका दुखता है । हमे सोच समझ कर बोलना चाहिए । हमे उस इंसान से माफी मांगनी ही चाहिये फिर भी वह किसी तरह दुखी हो जाता है।
2. जब भी हम कुछ कहते हो दूसरो को कष्ट पहुंचाने के लिए होता है। बाद में हमे ही कष्ट होता है। खुद को कष्ट देने से अच्छा है दूसरो को अपने मीठे शब्दो से दूसरो को खुशी दी जाए । शब्द ही सफलता की सीढ़ी है।
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